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क्रिसमस ईशा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार हैं। इसे पराधीन के नाम से भी जाना जाता है यह हर साल 25 दिसंबर को दुनिया के अधिकतर देशों में मनाया जाता हैं। क्रिसमस शब्द का जन्म क्रास्ट मास शब्द से हुआ है और ऐसा माना जाता है की 336 ईसा पूर्व में रोम में सबसे पहले क्रिसमस डे मनाया गया था। इस दिन लोग एक दूसरे को गिफ्ट देते है और पार्टी करते है। तो इसके बारे और जानकारी अब जानेंगे।
क्रिसमस का इतिहास
बाइबल के अनुसार माता मरियम के गर्व से ईसाई धर्म के ईश्वर ईशा मसीह का जन्म हुआ था। ईशा मसीह के जन्म से पहले माता मरियम क्वारी थी। उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ नमक एक व्यक्ति से हुआ था।
एक दिन मरियम के पास स्वर्गदूत आए और उन्होंने कहा की जल्द ही आप एक संतान को जन्म देंगी। और उन्होंने ये भी कहा की उस बच्चे का नाम जीसस रखना हैं स्वर्गदुत ने उस बच्चे की भविष्यवाणी करते हुए उनकी माता से कहा की जीसस कोई आम आदमी नही वह बड़ा होकर राजा बनेगा और उनके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।
जो इस संसार को कष्टों से मुक्ति का रास्ता दिखलाएगा। माता मरियम ने संकोच वश कहा की मैं तो अभी अविवाहित हूं ऐसे में ये कैसे संभव है। तभी देवदूत ने कहा यह सब एक चमत्कार से होगा जल्द ही संजोगवश माता मरियम और यीशु की शादी हुई। शादी के बाद दोनो यहूदियों के प्रांत वेतालहिम नामक जगह पर रहने लगी।
यही पर एक रात अस्तबल में ईशा मसीह का जन्म हुआ इसी दिन आकाश में एक तारा बहुत ज्यादा चमक रहा था। और इस अजीब सी चमक को देखकर लोगो को इस बात का एहसास हो गया था।
की रोम के शासन से बचने के लिए उनके ईश्वर उनके मसीहा ने धरती पर जन्म ले लिया है। और इसी ईशा मसीह के जन्मोत्सव को ही आज लोग क्रिसमस के तौर पे मानते है।
ईशा मसीह के जन्म के बाद
ईशा मसीह ने लोगो को भाईचारे और एकता की सीख दी उन्होंने लोगो को भगवान के पास रहने का मार्ग दिखाया। ईशा मसीह ने छमा मांगने और छमा करने पर जोर दिया और उन्होंने अपने दुश्मनों को भी माफ किया।
इसके अलावा 25 दिसंबर के अलग अलग कथा इस दुनिया में मौजूद है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमस टायर्ड की भी शुरुआत होती है एनो डोमिनी काल के प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म 7 से 2 ईशा पूर्व के बीच हुआ था।
वैसे अगर देखा जाए तो 25 दिसंबर यीशु मसीह के जन्म की वास्तविक तिथि नहीं है। और लगता है की इस तिथि को एक रोमन पर्व मकर सक्रांति से संबंध स्थापित करने के लिए चुना गया था। ईसाई धर्म का दावा करने वाले कुछ लोगो ने बाद में इस दिन को चुना क्योंकि इस दिन रोम के गैर ईसाई लोग अजयसूर्य का जन्मदिन मनाते थे।
और ईसाई चाहते थे की यीशु मसीह का जन्म भी इसी दिन मनाया जाय सर्दियों के मौसम में जब सूरज की गर्मी कम हो जाती थी तो गैर ईसाई इस इरादे से पूजापाठ करते थे। और रीती रस्म मनाते थे की सूरज अपने लंबी यात्रा से लौट आए और दुबारा उसे गर्मी और रोशनी दे।
दरअसल उनका मानना था की 25 दिसंबर को सूरज लौटना शुरू करता है शुरू में इस बात को लेकर थोड़ी मतभेद हुई थी की क्या सच में ईशा मसीह का जन्म दिन मनाया चाहिए। तब ईशा के बलिदान और पूर्ण रोकथाम परिस्चर ही इशाइयो का प्रमुख त्योहार हुआ करता था। आज विश्व ले लगभग 100 से अधिक देशों में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे का त्योहार बहुत ही उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
अनेक देशों में इस दिन राज्य के अवकाश घोषित किया जाता है इस दिन को क्रिसमस मानने के लिए पहली बार काफी समस्यायों से भी गुजरना पड़ा था। पर उसके बाद पिछले डेढ़ शताब्दी से ही क्रिसमस डे का पर्व बिना किसी परेशानी और बाधा से पूर्ण हो रही है।
सांताक्लॉज का आगमन कैसे हुआ
सांताक्लॉज आज इस पर्व की पहचान बन चुका है सांता क्लॉज की छवि एक गोल मटोल आदमी की है जो हमेशा लाल कपड़े पहन के रहता है।
और यह बच्चो को क्रिसमस में गिफ्ट देने अपने उरन तस्करी में आता है आज सांता क्लॉस के बिना क्रिसमस डे की कल्पना बिलकुल ही अधूरी है।
सांता क्लॉज को लेकर कई कथाएं है कई लोगो का यह मानना है की चौथी शताब्दी में संत निकोल्स जो की तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे वही असली सांता थे।
संत निकोल्स गरीबों को हमेशा गिफ्ट देते थे इस समय लोग संत लिकोल्स का काफी सम्मान करते थे। उस समय से सांता क्लॉस की परिकल्पना की जाने लगी
क्रिसमस में क्रिसमस ट्री 🎄
क्रिसमस ट्री जब भगवान ईशा का जन्म हुआ था तब सभी देवताए उन्हें देखने और बधाई देने आए थे उस दिन से आजतक क्रिसमस के मौके पे सदाबहार के पेड़ को सजाया जाता है।
और इसे क्रिसमस ट्री कहा जाता है क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत करने वाला पहला व्यक्ति बोनी फेंस टुयू नामक एक अंग्रेज धर्म प्रचारक था। यह पहली बार जर्मनी में 10वी शताब्दी के बीच शुरू हुआ था
क्रिसमस में कैसे होती है सजावट और पूजा
क्रिसमस से कई दिन पहले ही सभी ईसाई समुदायों द्वारा कैरोज गाए जाते है और प्रार्थना की जाती है। सारे संसार के गिरजाघरों में यीशु की जन्म गाथा झाकियों के रूप में प्रदर्शित की जाती है।
जो भी इस 25 दिसंबर की बीच की रात को पूरे समय प्रार्थना पूजा की जाती है भक्तिभावपूर्ण गीत गाए जाते है। दूसरे दिन सवेरे से ही जन्म दिन का समारोह होता है गिरजाघरों में मंगल कामना का प्रतीक क्रिसमस ट्री सजाया जाता है।
पूजा स्थलों को इस प्रकार से सजाया जाता है मानो दिवाली मनाई जा रही हो आज क्रिसमस जितना धार्मिक है उतना ही सामाजिक पर्व बन गया है। कई गैर ईसाई भी इसे एक धर्म निरपेक्ष सांस्कृतिक तौर पर मानते है। इस अवसर पर सभी व्यवसाय गतिविधियां अपनी चरम सीमा पर रहती है।
इस दौरान मिठाई, चॉकलेट, ग्रीटिंग कार्ड क्रिसमस ट्री आदि सजावटी वस्तुएं दोस्तो और परिवार को देने की परंपरा है इस दिन पर सभी एक सांस्कृतिक अवकाश का लुप्त उठाते है।
तथा इस अवसर पर सभी स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, और गैर सरकारी संस्थाएं बंद रहती है। ब्रिटेन तथा अन्य राष्ट्रमंडल देशों में क्रिसमस से अगला दिन 26 दिसंबर को बॉक्सिंग डे के रूप में मनाया जाता है।
इस पोस्ट में हमने क्रिसमस के बारे में सारी जानकारी क्रिसमस से पहले ही दे दी है ताकि आपसे अगर कोई क्रिसमस के बारे में पूछे तो आप बिना झिझक सारी बाते बता सके तो दोस्तो क्रिसमस के लिए आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बच्चो के लिए मेरे तरफ से प्यार ….।