यह कहानी आप सब के लिए मनोरंजन के साथ एक सिख भी है इसे पूरा पढ़े और इस कहानी के मजे ले।
एक शहर में छोटा सा गांव था जिसका नाम मंगलपुर था। जिसमे शांति नाम की एक औरत और उनके बेटे रहते थे अचानक उनके पति के मृत्यु के पश्चात घर का सारा बोझ अब उनपे आ गया। अपने दो बेटे की परवरिश और पढ़ाई लिखाई में देखते देखते शांति का सारा जीवन बीत गया।
जब बच्चे बड़े हुए तब शांति को बहुत बड़ा फैसला लेना पड़ा। शांति गई अपने पास के भाऊ के पास गई और उससे कहा की आप जानते है न की मैने अपने दोनो बेटो को कितनी परेशानी से पाला है।
अब उनके कॉलेज में पढ़ने की उम्र हो गई है मगर शांति ने कहा की मेरे पास इतने पैसे नहीं है की मैं अपने दोनो बेटो को पढ़ने के लिए भेज सकू। ऐसे मैं क्या करू कहके शांति जोर जोर से रोने लगी।
तभी उसके भाऊजी ने कहा की ये बताओ उन दोनो बेटो में सबसे होशियार कौन है। शांति ने सोच के कहा की जय ज्यादा होशियार है किसन से जय पढ़ने में ज्यादा तेज है।
तभी उनके भाउजी ने कहा की तुम्हे जय को पढ़ने के लिए भेज देना चाहिए। और किसन को मेरे पास भेज दो मैं उसे अच्छी हलुवाई के पास काम पर लगा दूंगा। किशन को ये सब देख के अच्छा तो नही लगा पर उसे खुसी थी की उसका भाई पढ़ने के लिए शहर गया।
अपनी घर की हालत देखते हुए किशन खुशी खूसी अपनी मां की बात मन ली तभी उधर जय को एक बड़ी कंपनी ने मैनेजर बना लिया यह देख जय तुरंत अपने घर मिठाई ले के गया।
जय उम्र में बड़ा था जब वह घर पहुंचा तो उसकी मां और उसका भाई दरवाजे पर खरा हो गया। कुछ देर बातचीत करने के बाद जय कहता है की जल्दी मैं अपने भाई और मां को ले कर शहर में जगह ले लूंगा।
कुछ दिन बाद जय फिर शहर गया और इस बार जूनियर से सीनियर मैनेजर बन गया और वो अपने पूरे परिवार को अपने पास ले आया। और अपनी मां से कहता है की कल मेरे बॉस डिनर पे आ रहे है और वो बहुत खुस है की मैने अपने पूरे परिवार को यहां ले आया।
शांति कहती है अपने जय से ये तो अच्छी बात है तू जल्दी ले आ पर शांति अक्सर बीमार रहती थी तो ऐसे में बॉस के लिए खाना कौन बनाएगा। उनका भाई किशन बोला की भैया आपको टेंशन लेने की कोई बात नही खाना मैं बनाऊंगा ये कहके अपनी प्रशंसा करी।
जय ने अपने भाई को समझते हुए कहा की खाना बॉस के हिसाब से बनना चाहिए वो बहुत बड़े आदमी है मगर किशन ने बेफिक्र कहा की आप देखना खाना खाते ही आपकी डबल प्रमोशन पक्की ऐसे कहके किशन खाना बनाने चला गया।
और तरह तरह के स्वादिष्ट भोजन तैयार करने लगा तभी उनके बॉस दरवाजे पर आए। किशन दरवाजा खोलने जा ही रहा था को जय ने उसे रोक के कहा की तुम दरवाजा मत खोलो बॉस देखेंगे तो कहेंगे कैसे कपड़े पहने है तू बाहर कम ही निकलना।
यह सुनके किशन को बहुत निराशा हुई और जय दरवाजा खोलने चला गया। और किशन चुपचाप टेबल सजाने लगता है जैसे ही उनके बॉस बैठे उसने सबसे पहले जय को अपने मां और भाई से मिलवाने के लिए कहा।
फिर उनकी मां आई और बॉस से काफी देर से बात कर रहे थे और वहा किशन अकेले खाने की तैयारी में लगा था। बातचीत करने के बाद बॉस डायनिंग टेबल के पास गए वहा टेबल की सजावटी देख बहुत खुश हुए।
और बॉस से रहा नहीं गया और जय से पूछ बैठे की ये इतना स्वादिष्ट खाना और टेबल की सजावटी किसने की है। मगर जय को अपने भाई का नाम लेने में शर्म आ रही थी। उसकी मां ने कहा बॉस से ये सब उसके बेटे किशन ने किया है।
बॉस ने कहा की जय तुम्हारा भाई घर में है और तुमने अभी तक मिलवाया नही कहा है। उसकी मां ने आवाज लगाई और किशन उपस्थित हुआ बॉस ने प्रशंसा करते हुए कहा वह इतना स्वादिष्ट खाना मैने पहले कभी नही खाया कहा से सीखा।
जय ने बॉस को बताया कुछ नहीं ये तो बस थोड़ा सा गांव में एक बावर्ची के नौकर था तभी सीखा था। यह सुन किशन को फिर से निराशा हुई। पता नही क्यों पर उसका बड़ा भाई जय उसे अब हर वक्त बेज्जत करने लगा था।
तभी उसके बॉस ने एक ऑफर रखी उसने कहा की माजी अगर आप बुरा न माने तो आपके बेटे को मैं हेड शेफ बनाना चाहूंगा। वो क्या है हमे ने होटल के लिए एक शेफ की जरूरत है
उसका भाई जय फिर से विरोध करते हुए कहा की किशन ने कोई डिग्री नही ली है वो तो बस ऐसे ही थोड़ा बहुत जनता है खाना बनाने। पर बॉस ने कुछ नहीं सुनी उसने कहा डिग्री की टेंशन नही है मुझे बस स्वाद अच्छा चाहिए।
बस फिर बॉस ने जय को कल अपने साथ किशन को ले के आने के लिए कह दिया और किशन को एक पकवान खिलाने के लिए कह दिया। यह बात सुनके किशन बहुत खुश होता है मगर जय को ये बात बिलकुल अच्छी नही लग रही थी।
अगले दिन किशन बॉस के पास जाता है और एक पकवान बनाने लगता है। और परोसते वक्त अपने इस पकवान का नाम लेता है दल बाटी चूरमा इटालियन बॉस खाना टेस्ट करके बहुत खुश होता है तभी पीछे से जय कहता है।
क्या ये सच में बहुत स्वादिष्ट है सर मैं चख के देखू और उसने चखा वो सच में अत्यंत स्वादिष्ट था। बॉस ने फिर जय से कहा की अब तुम सब सच बताओगे या मैं बताऊं। दरअसल जय ने सेफ से कह दिया था की मेरे भाई किशन के भोजन में नमक मिर्च ज्यादा दे देना ताकि बॉस नौकरी पर न रखे।
लेकिन शांति ने यह सारी बात सुन ली थी और बॉस से कह दिया उसका भाई यह सब जानने के बाद अपने बड़े भैया जय से कहता है क्यों भैया मैने ऐसी क्या गलती कर दी जो आप मुझसे इतनी नफरत करने लगे है बहुत ही स्नेह से उदास मुंह से बोला किशन।
जय कहता है क्योंकि मैं नही चाहता की तुम मेरे जितना पैसा कमाओ और मेरे जैसी जिंदगी मिले। हमेशा मेरे टुकड़ों पर पलो जय ने अपने भाई किशन को सबकुछ सच सच बता दिया।
फिर उसके बॉस ने बताया की किस तरह उसने सैफ को नौकरी से निकाल दिया फिर बॉस ने जय को भी नौकरी से निकालने की धमकी दी तभी उसके भाई किशन ने कहा नही सर मेरा भाई दिल का बुरा नहीं है उसे प्लीज नौकरी से मत निकालिए। तभी उसके बॉस ने कहा,
देखा जय तुमने अपने भाई के साथ कितना कुछ किया लेकिन फिर भी वो तुम्हारा नुकसान नहीं चाहता। जय ये सब देख बहुत दोषी महसूस करता है और अपने आप पे पछतावा करता है। फिर उसके बाद दोनो भाईयो को नौकरी मिल जाती है और दोनो खुशी खुशी एक साथ रहते है।